अधूरी नहीं जिंदगी शादी बिना - बेरोगार आशिक़

चलो बढिया ही है कि हमारी शादी नही होने वाली। वरना तुम हमेशा परेशान रहती मुझसे। हाँ मुझे एक हक जरूर मिल जाता पर क्या मैं कभी वो हक तुमपे जता भी पाता?, शायद नही! जहाँ तक मैं अपने आप को जानता हूँ अगर उस हिसाब से जोड़ घटाना लगाऊँ तो तुम मेरे लिए कभी नही बदल सकती, कभी भी नही....


बेशक़ तुम मेरी पत्नी हो जाती शादी के बाद लेकिन फिर भी मैं तुम्हें हमेशा चोरी की नजरों से ही देखता! हाँ वैसे ही जैसे की अक्सर मेरी ऐसी चोरियाँ पकड़ी जातीं हैं अभी और बिना तुम्हारी किसी सज़ा के मैं हर बार बाइज्जत बरी हो जाता हूँ। देखो मैं शायद ही कभी तुम्हे अपनी जागीर समझकर जी भर के देख भी पाता। मुझे नही पता कि ऐसा क्यों पर ऐसा ही होता। अब जो तुम्हारा पति होते हुए भी तुम्हें अपनी जागीर ही समझ पाए तो अच्छा ही है ना कि हमारी शादी नही होने वाली?

किसी शाम किसी सुनसान सड़क पर चलते हुए तब भी तुम्हें ही मेरा हाथ पकड़ने की शुरुआत करनी पड़ती जैसे की अभी करनी पड़ती है। इतनी हिम्मत न अब है मुझमे और न शायद तब होगी। हाँ पर हमेशा की तरह तब भी मैं तुम्हें हमारे चल रहे झगड़े के बीच ये याद दिलाते हुए ''की देखो तुमने मेरा पकड़ा था उस समय मैंने नही! समझी''  झगड़े का अंत कर देता। और  फिर अगली शाम जैसे ही हम फिर से उसी सुनसान सड़क पर निकलते तब तुम ये याद दिलाना नही भूलती की ''देखो इस बार हाथ तुमने पकड़ा है''। अब भला कौन से पति पत्नी हाथ पकड़ने जैसी बात को लेकर इतनी बातें करते होंगे और कौन सा पति अपनी पत्नी का हाथ पकड़ने से पहले इतना सोचता होगा तो ये बढ़िया ही है न कि हमारी शादी नही होने वाली?

किसी शाम पार्क में बैठे हुए हमेशा की तरह मैं तब भी चुप ही रहता जैसा की अभी रहता हूँ। हाँ पता है कि तुम कभी नही बताओगी पर मुझे इतना तो समझ आता है कि मैं तुम्हे हमेशा बोर कर देता हूँ। आख़िर कौन हर बात का ज़बाब सिर्फ मुस्कुरा कर देता है। आख़िर कौन अपना हर ज़बाब बीच में ये कहकर छोड़ देता है कि ''हटाओ तुम नही समझोगी, रहने दो'' और फिर मुस्कुरा के रह जाए। तो तुम्हे हमेशा बोर करने और ज़बाब न देकर तुमसे हर बात पर हार जाने से और तुम्हें परेशान करने से अच्छा ही है न कि हमारी शादी नही होने वाली?

वैसे तो मैं बहुत सोता हूँ पर किसी सुबह अगर मेरी आँख तुमसे पहले खुल जाती और तुम्हारा सर् मेरे हाथ पर होता तब शायद मैं तुम्हे जी भर के देख पाता। बताओ अब तुम्हे देखने के लिए भी तुम्हारे सोने का इन्तेजार करना पड़ता। हाँ तब भी! और फिर मैं बहुत आहिस्ता से तुम्हारे सर् को उठाकर अपना हाथ खींचता  कि कहीं तुम्हारी नींद न खुल जाए। और फिर तुम्हारी गर्मागर्म चाय के साथ तुम्हें जगाता। पर ऐसे पति होने का फ़ायदा भी क्या जो अपनी आँख खुलते ही पत्नी से चाय की डिमांड न करे तो चलो बढ़िया ही है कि हमारी शादी नही होने वाली, है ना.....?

Er. Ritesh Kumar Bhanu

Ritesh Kumar Bhanu is an India-based influencer, digital marketer, blogger, and founder of Tech Ritesh Insight. He started his journey in digital marketing and blogging at the young age of 16, learning various blogging strategies and tactics. Over time, he became a successful blogger and digital marketing expert.

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