जीवन बहुत अप्रत्याशित है, कोई भी अधिक समय तक नहीं रहता है,हमेशा जीवन को खुशहाल जियो |

कई बार हम स्वीकार नहीं कर पाते पर हर रिश्ता यहां बहुत थोड़े समय के लिए है। आप खुद सोचकर देखिये ना जिनके बिना हम जिंदगी की कल्पना नहीं कर सकते थे, जिनके बारे में हम यह सोचते थे कि कभी नहीं बिछड़ेंगे वह आज हमारे साथ नहीं हैं।

बचपन में कितने दोस्त थे? स्कूल के टाइम? कॉलेज के दिनों में? और अब बचे कितने?

सच कहूं तो कोई छोड़कर जाता है, कोई बिछड़ता है तो दुःख होता है। लेकिन यह भी सच है कि चार-छह लोगों को छोड़कर आपकी जिन्दगी में कोई लंबे समय तक नहीं रहता। इसलिए अपनी मुठ्ठियों को खुला रखिये, जो जाता है जाने दीजिये और नया कोई आता है तो उनको सहर्ष स्वीकार कीजिये, इस दुनिया में हम सब अजनबी हैं। सबको याद रखिये, सबकी परवाह कीजिये पर किसी को अपने दुःख का कारण मत बनाइये।

और इतना ही नहीं, जब आपको भी लगे कि रिश्तों में लंबा ठहराव आ रहा है, काई जम रही है, फिसलन पैदा हो रही हो तो पीछे हट जाइये। हर कोई आपकी जिन्दगी में उतना दिन ही रहने वाला है जितने दिन वह रहना चाहता है। आपके बचपन, स्कूल और कॉलेज के दोस्तों की तरह उसने भी एक दिन चले ही जाना है।

और जिसे रहना है, वह तो अंत तक रहेगा, बेशर्त।                                                                                                                                                            


दरअसल, यह जिन्दगी क स्टेशन से दूसरे स्टेशन के बीच एक ट्रैन की तरह है और उम्र का हर पड़ाव एक स्टेशन है। सभी अपनी जरूरत और सहूलियत के हिसाब से ट्रैन में चढ़ते और उतरते हैं। कोई कम दूरी तय करता है-कोई ज्यादा, कोई-कोई ही होता है जो पहले स्टेशन पर चढ़ता और अंत वाले पर उतराता है। पर हर स्टेशन यानि उम्र का पड़ाव ख़ास है।

हर स्टेशन यानि उम्र के पड़ाव पर इस भागती हुई ट्रैन यानि जीवन के साथ आप भी रुकिये, ठहरिए, कहीं-कहीं उतरकर चाय भी पीजिये। और कोई उतरकर जा रहा है तो समझिए कि उसका सफ़र पूरा हो गया, उसे बस यहीं तक जाना था, वह जीवन के इस लंबे सफ़र में महज़ एक छोटे से समय का सहयात्री था।                                                                                                          


यह जीवन ट्रैन के सफ़र की ही तरह बहुत लंबा है, इसमें सैकड़ों स्टेशन आएंगे, इसमें सैकड़ों लोग चढ़ेंगे और उतरेंगे। पर किसी के लिए हमें रुक जाने की सहूलियत नहीं है, यह कोई मामूली नहीं जीवन का सफ़र है। हम किसी के लिए चाहे वह कितना भी घनिष्ट क्यों ना हो इस सफ़र को बीच में ही नहीं ख़त्म कर सकते हैं। यदि हम ऐसा करते हैं तो बाकि लोगों के साथ अन्याय होगा जो आप पर विश्वास करते हैं।

अगले स्टेशन पर कोई और चढ़ेगा, हो सकता है कि कोई उतरे भी, आपके सामने हमेशा चुनौती इस सफ़र को पूरा करने की रहेगी। और जो उतरता है, वह भी तो सफ़र पर ही है। क्या पता वह जो अभी-अभी उतरा है किसी और ट्रैन पर चढ़ चुका

वह अपना सफ़र पूरा कर रहा है, आप अपना कीजिये। किसी के लिए रोइए नहीं, आंसू नहीं बहाइये, अपने दिल को मजबूत कीजिये, बड़ा बनाइये; जो जाता है उसे जाने दीजिये।

जो है, उसका ख़्याल रखिये। 

Er. Ritesh Kumar Bhanu

Ritesh Kumar Bhanu is an India-based influencer, digital marketer, blogger, and founder of Tech Ritesh Insight. He started his journey in digital marketing and blogging at the young age of 16, learning various blogging strategies and tactics. Over time, he became a successful blogger and digital marketing expert.

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