2016 की रेल यात्रा की एक दृश्य - जब उसने अपने पिता से कहा "डैडी आप जाइये अब, ट्रेन तो दस मिनट खड़ी रहेगी


बात 2016  अगस्त की मैं अकेले अपने कॉलेज वापस आने के लिए दिल्ली की ट्रैन का पटना स्टेशन पर इन्तजार कर रहा था | पास देखा एक लड़की भी दिल्ली जाने के लिए उसी ट्रैन का इन्तजार कर रही थे शायद  उसके पापा उसे छोड़ने आये थे। मैंने देखा जब वो ट्रेन में पर बैठ जाती है अपनी सीट पर तो 

👉  बैठ जाने के बाद उसने अपने पिता से कहा "डैडी आप जाइये अब, ट्रेन तो दस मिनट खड़ी रहेगी 

👉  यहाँ दस मिनट का स्टॉपेज है।" .उसके पिता ने उदासी भरे शब्दों के साथ कहा "कोई बात नहीं बेटा, 10 मिनट और तेरे साथ बिता लूँगा, अब तो तुम्हारे क्लासेज शुरू हो रहे हैं काफी दिन बाद आओगी तुम।"

👉 लड़की शायद अध्ययन कर रही होगी, क्योंकि उम्र और वेशभूषा से विवाहित नहीं लग रही थी ।

👉 ट्रेन चलने लगी तो उसने खिड़की से बाहर प्लेटफार्म पर खड़े पिता को हाथ हिलाकर बाय कहा :-

👉 "बाय डैडी.... अरे ये क्या हुआ आपको !अरे नहीं प्लीज"पिता की आँखों में आंसू थे।

👉 ट्रेन अपनी रफ्तार पकड़ती जा रही थी और पिता रुमाल से आंसू पोंछते हुए स्टेशन से बाहर जा रहे थे।

👉 लड़की ने फोन लगाया.."हेलो मम्मी.. ये क्या है यार! जैसे ही ट्रेन स्टार्ट हुई, डैडी तो रोने लग गये..

👉 अब मैं नेक्स्ट टाइम कभी भी उनको सी-ऑफ के लिए नहीं कहूँगी भले अकेली आ जाउंगी ऑटो से..

अच्छा बाय..पहुंचते ही कॉल करुँगी,डैडी का ख्याल रखना ओके।" .

👉 मैं कुछ देर तक लड़की को सिर्फ इस आशा से देखता रहा कि पारदर्शी चश्मे से झांकती उन आँखों से मुझे अश्रुधारा दिख जाए पर मुझे निराशा ही हाथ लगी,उन आँखों में नमी भी नहीं थी।

👉 कुछ देर बाद लड़की ने फिर किसी को फोन लगाया- "हेलो जानू कैसे हो.... मैं ट्रेन में बैठ गई हूँ..हाँ अभी चली है यहाँ से,कल अर्ली-मोर्निंग पहुँच जाउंगी.. लेने आ जाना.

लव यू टू यार,

👉मैंने भी बहुत मिस किया तुम्हे.. बस कुछ घंटे और सब्र कर लो कल तो पहुँच ही जाऊँगी।"

🙏 मैं मानता हूँ दोस्तों...कि

👉 आज के युग में बच्चों को उच्च शिक्षा हेतु बाहर भेजना आवश्यक है पर इस बात में भी कोई दो राय नहीं कि इसके कई दुष्परिणाम भी हैं।

👉 मैं यह नहीं कह रहा कि बाहर पढने वाले सारे लड़के लड़कियां ऐंसे होते हैं। मैं सिर्फ उनकी बात कर रहा हूँ जो पाश्चात्य

👉 संस्कृति की इस हवा में अपने कदम बहकने से नहीं रोक पाते

👉 और उनको माता-पिता, भाई- बहन किसी का प्यार याद नहीं रह जाता सिर्फ एक प्यार ही याद रहता है!!!

Er. Ritesh Kumar Bhanu

Ritesh Kumar Bhanu is an India-based influencer, digital marketer, blogger, and founder of Tech Ritesh Insight. He started his journey in digital marketing and blogging at the young age of 16, learning various blogging strategies and tactics. Over time, he became a successful blogger and digital marketing expert.

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